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Monday, 27 January 2020

भारत माँ की शान है (कविता) - श्रीमती सुशीला शर्मा

भारत माँ की शान है
(कविता)
शीश मुकुट हिम गिरि का पहने
गंग धारा जयमाल है
हरित धरा का वसन निराला
भारत माँ की शान है ।

एक हाथ विंध्याचल पर्वत
दूजे हिम की झालर है
चरण पखारे सागर जिसके
ऐसा रूप निराला है ।

वेद पुराणों के जयकारे
घर-घर गूँजे जाते हैं
ऋषि-मुनियों के तप बल भी
धरती पावन कर जाते हैं।

गंगा, यमुना, सरस्वती की
धारा जब मिल जाती है
संगम होता जब तीनों का
प्रयाग राज कहलाती है ।

अमृत बिखरा है धरती पर
देव भूमि कहलाता है
भारत माता का अतीत
सब जग में पूजा जाता है ।

आओ हम भी वंदन कर लें
गुण गौरव का गान करें
शीश नवा कर भारत माँ पर
गर्व करें अभिमान करें ।
-०-
पता:
श्रीमती सुशीला शर्मा 
जयपुर (राजस्थान) 
-०-


***
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