ज्ञान
(कविता - सरसी छंद में )
जीवन नाव बहे संग वारि ,
आयी है मझधार ।
पार करो प्रभु नाव हमारी,
कर दो बेडा़ पार।
दिखे नही है राह कहीं पर ,
सुनो विनय भगवान ।
द्वार खडे़ तेरे हम मूरख ,
दे दो विद्या दान।
मंगल गान करे नर नारी ,
दीप जलाये ज्ञान।
साक्षरता जब ज्योति बने ,
मिटे सभी अज्ञान ।
बिना ज्ञान के मानव लगता ,
एक पशु समान।
ज्ञान मिले तब मानव बनता ,
पाता है सम्मान
-०-
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