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Sunday, 12 January 2020

■ युवा देश के जाग रहे हैं ■ (कविता) - अलका 'सोनी'

■ युवा देश के जाग रहे हैं ■
(कविता)
प्रगति का ध्वज
हाथों में लेकर
धरती से अम्बर की
दूरी माप रहे हैं
युवा देश के
जाग रहे हैं
जोश से इनके
डरकर
दुर्दिन देश के
भाग रहे हैं।
चुनौतियां हो
कितनी भी
कब घबरा कर
वो भाग रहे हैं।
तकनीक को
उंगलियों पर नचाते
नई सोच से देश
सजाते
जननी का न
दूध लजाते
भाग देश के इनसे
जाग रहे हैं।
नए सन्धानों
की खोज में तत्पर
कितनी रातों से
जाग रहे हैं।
उम्मीदें है
कितनी इनसे ये
सब कुछ अब
जान रहे हैं
दर्शन में विज्ञान
मिलाकर नए
प्रयोग को
जांच रहे हैं
युवा देश के
जाग रहे हैं।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

***
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3 comments:

  1. जागरण रचना के लिये बहुत बहुत बधाई है आँप को।

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  2. हमारी रचना के प्रकाशन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सम्पादक महोदय का.....💐💐

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