वो हिंदुस्तानी था
(कविता)
हुड़दंग देख कर , लगता है
तू भारत का इस्लाम नहीं
दुनियां जाने, उसके 'सर' पे
कोई भी, इल्जाम नही
चढ़ी कढ़ाई, छोड़ के दौड़ा
'गिरा' जो, रामू काका था
गोद मे लेके घर तक छोड़ा
वो अब्दुल था, कोई और नहीं
दीप दिवाली, पान दसहरा
होली का, रंग भी चढ़ता था
ढ़ोल ताजिये साथ बजाते
वो राजू था, कोई और नहीं
दुःख सुख दोनों मिलकर बांटे
बात बड़ी या छोटी हो
इल्जाम नही, दोनों ने सीखा
वो हिंदुस्तानी था कोई और नही
-०-
राजेश सिंह 'राज'
तू भारत का इस्लाम नहीं
दुनियां जाने, उसके 'सर' पे
कोई भी, इल्जाम नही
चढ़ी कढ़ाई, छोड़ के दौड़ा
'गिरा' जो, रामू काका था
गोद मे लेके घर तक छोड़ा
वो अब्दुल था, कोई और नहीं
दीप दिवाली, पान दसहरा
होली का, रंग भी चढ़ता था
ढ़ोल ताजिये साथ बजाते
वो राजू था, कोई और नहीं
दुःख सुख दोनों मिलकर बांटे
बात बड़ी या छोटी हो
इल्जाम नही, दोनों ने सीखा
वो हिंदुस्तानी था कोई और नही
-०-
राजेश सिंह 'राज'
बहुत सुंदर रचना
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