जिंदगी तुझसे
जिंदगी तुझसे शिकायत है सभी को
रास तू आती नहीं क्यों हर किसी को
प्यार केवल रूप से होता नहीं है
चूसता भँवरा नहीं है हर कली को
हर तरफ चेहरे पै चेहरा लग रहा
आदमी ही छल रहा है आदमी को
हर किसी में ही कमी क्यों ढूँढते हैं
देख भी लें हम कभी अपनी कमी को
दर्द से भी दोस्ती होती मजे की
क्यों तरसता है भला तू बस खुशी को
ये गलत है वो गलत है कह रहे हैं
बोल क्यों पाते नहीं हैं हम सही को
दुश्मनी से कुछ भला होता नहीं है
हम बदल दें दोस्ती में दुश्मनी को
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