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Monday 16 March 2020

पहेलियाँ - भाग - २ (दोहा पहेली) - महावीर उत्तराँचली

पहेलियाँ - भाग - २
(दोहा पहेली)
अंग-रूप है काँच-का, रंग सभी अनमोल।
आऊँ काम श्रृंगार के, काया मेरी गोल // १२. //

अद्भुत हूँ इक जीव मैं, कोई पूंछ, न बाल।
बैठा करवट ऊँट की, मृग सी भरूँ उछाल // १३. //

बिन खाये सोये पिए, रहता सबके द्वार।
ड्यूटी देता रात-दिन, छुट्टी ना इतवार // १४. //

तनकर बैठा नाक पे, खींचे सबके कान।
उसका वजूद काँच का, देना इसपर ध्यान // १५ //

सर भी उसका पूंछ भी, मगर न उसके पाँव।
फिर भी दिखे नगर-डगर, गली-मुहल्ला-गाँव // १६ //

आ धमके वो पास में, लेकर ख़्वाब अनेक।
दुनिया भर में मित्रवर, शत्रू न उसका एक // १७ //

पूंछ कटे तो जानकी, शीश कटे तो यार।
बीच कटे तो खोपड़ी, नई पज़ल तैयार // १८ //

तेज़ धूप-बारिश खिले, देख छाँव मुरझाय।
अजब-ग़ज़ब वो फूल है, काम सभी के आय // १९ //

गोरा-चिट्टा श्वेत तन, हरी-भरी है पूँछ।
समझ न आये आपके, तो कटवा लो मूँछ // २० //

दरिया है पानी नहीं, नहीं पेड़ पर पात।
दुनिया है धरती नहीं, बड़ी अनोखी बात // २१ //

अन्धा हूँ पर नयन हैं, मुँह रहते मैं मौन।
पैर मगर ना चल सकूँ, यार बता मैं कौन // २२ //-०-
पता: 
महावीर उत्तराँचली
दिल्ली
-०-

***
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