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Saturday, 1 August 2020

शब्दों को जादू आता है (कविता) - दीपक अनंत राव 'अंशुमान'


शब्दों को जादू आता है
(कविता)
शब्दों को जादू आता हैं
माँ के सीने की गरमी से सटे अपनी कटपुतली को,
कोख से ही सुनते सुनते,
अपनी अम्मा के शब्दों की जादू आती है।
दादी की आवाज़ दुलारे की पहचान है
दादा के शब्दों से वो जीना सीखता है
पिताजी जब प्यार से पुकारते
तब वो खुशी से झूम उढ़ते साथ
सुरक्षा का साया भी अपनाता हैं
शब्दों को जादू आता है
प्रेमिका के बातों से दिल की गहराइयों पर
लहराते हिलोरे को शब्दों में बाँटना शायद
कोई शायर भी नहीं जानता।
बदले दिल के कागज पे जो प्रेमी अपनी महबूबा
का लिखता है वो आवाज़ तितलियाँ बनकर
सदा प्रेमिका के चारों तरफ मंडराते रहते
शब्दों को कोई सीमा नहीं
बातें सदा बनती रहती है,
मान और इमान शब्दों की झड़ी है,
प्यार एंव नफरन आवाज का लाडला है,
अपनी शब्दों से इसलिए तुम भी जादूगर बन जाओ
शब्द कभी भी दिल की गहराइयों पर दफ़ने का नहीं
बल्कि समाज को सिंगार करने का है।
शब्दों को जादू आता हैं॥
-०-
पता:
दीपक अनंत राव 'अंशुमान'
इडुक्की (केरल)

-०-



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