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Saturday, 1 August 2020

पुस्तक मेला (बाल गीत) - जयसिंह आशावत


पुस्तक मेला
(बाल गीत)
पुस्तक मेला लगा शहर में,
अखबारों में आया ।
मैं भी चाहूं उसे देखना,
मेरा मन ललचाया।
बच्चों खातिर लिखी पुस्तकें,
नाटक गीत कहानी।
जिन्हें सुनाते हैं गाँव में ,
दादा दादी नानी।
सजी अनेकों बुक्स स्टॉल्स पर
गोलू ने बतलाया।
पुस्तक मेला लगा शहर में
अखबारों में आया ।
पापा कल ऑफिस से जल्दी,
आकर , मेले चलना।
मुझको भी अच्छा लगता है ,
बाल किताबें पढ़ना।
इन से मिलती हैं  शिक्षाएं ,
वक्त करें क्यों जाया ।
पुस्तक मेला लगा शहर में,
अखबारों में आया।
पापा आएँ अगर देर से ,
मम्मी तुम ले चलना ।
मेले में है और अनेकों,
आकर्षण क्या कहना।
करती थी तारीफ वहां की,
कल भी दीदी छाया ।
पुस्तक मेला लगा शहर में
अखबारों में आया ।
-०-
पता:
जयसिंह आशावत
बूंदी (राजस्थान)

-०-



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