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Saturday, 29 August 2020

अब बेटा बड़ा हो गया है (कविता) - लक्ष्मी बाकेलाल यादव


अब बेटा बड़ा हो गया है
(कविता)
खेल-कूद भूलकर अब
 मोबाईल चलाने लगा है
हँसी-मजाक से परे अब
संजीदा रहने लगा है ,

माँ के आँसू झूठे लगते
बहन-भाई अब तीखे लगते
बीवी का कहना मानकर अब
अपना दिल बहलाने लगा है
अब बेटा बड़ा हो गया है ।

बाप की कमाई पर वह
अपना हक जताने लगा है
जरॆ-जरॆ हर चीज का अब
हिसाब वह रखने लगा है ,

जिनसे उसे पहचान मिली
उनको औकात बताने लगा है
ऊँगली पकड़ जिससे चलना सीखा
उसी को राह दिखाने लगा है

अपनों को पराया समझ अब
गैरों को अपनाने लगा है
सही-गलत की पहचान भूल अब
रिश्तों को दफनाने लगा है
क्योंकि अब बेटा बड़ा हो गया है ।
***
पता:
लक्ष्मी बाकेलाल यादव
सांगली (महाराष्ट्र)

-०-



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1 comment:

  1. बाह! बिल्कुल समसमायिक रचना है आपको हार्दिक बधाई है आदरणीयाा!

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