सब पर नेह लुटाते नानू ,
सबसे प्यार जताते नानू ।
कोई छोटा,बड़ा नहीं है,
सबको ही अपनाते नानू ।
भाव भरा बर्ताव मिले तो,
तत्क्षण ही हरियाते नानू ।
पीड़ा,ग़म,मायूसी पीकर,
हरदम ही मुस्काते नानू ।
मिले कोय लाचार,दुखी यदि,
करुणा ख़ूब दिखाते नानू ।
संस्कार,अनुशासन का जल,
जी-भर ख़ूब बहाते नानू ।
अपना कोई ठेस लगा दे,
तो पल में मुरझाते नानू ।
स्वाभिमान पर हों आघातें,
तो जमकर अड़ जाते नानू ।
सबको अपनापन देकर के,
बिगड़ी बात बनाते नानू ।
क्या है अच्छा,और बुरा क्या,
सबको ही जतलाते नानू ।
कांटों में भी फूल खिलाकर,
सबको राह बनाते नानू ।
सारे घर,कुटुम्ब,मोहल्ले,
के पल में बन जाते नानू ।
'शरद' पुरानी पीढ़ी के पर,
नये रोज़ बन जाते नानू ।
-०-
सबसे प्यार जताते नानू ।
कोई छोटा,बड़ा नहीं है,
सबको ही अपनाते नानू ।
भाव भरा बर्ताव मिले तो,
तत्क्षण ही हरियाते नानू ।
पीड़ा,ग़म,मायूसी पीकर,
हरदम ही मुस्काते नानू ।
मिले कोय लाचार,दुखी यदि,
करुणा ख़ूब दिखाते नानू ।
संस्कार,अनुशासन का जल,
जी-भर ख़ूब बहाते नानू ।
अपना कोई ठेस लगा दे,
तो पल में मुरझाते नानू ।
स्वाभिमान पर हों आघातें,
तो जमकर अड़ जाते नानू ।
सबको अपनापन देकर के,
बिगड़ी बात बनाते नानू ।
क्या है अच्छा,और बुरा क्या,
सबको ही जतलाते नानू ।
कांटों में भी फूल खिलाकर,
सबको राह बनाते नानू ।
सारे घर,कुटुम्ब,मोहल्ले,
के पल में बन जाते नानू ।
'शरद' पुरानी पीढ़ी के पर,
नये रोज़ बन जाते नानू ।
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प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
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