मेरे बापू
(कविता)
राष्ट्र पिता भारत की शान
महात्मा गाँधी व्यक्तित्व महान
सत्य अहिंसा सत्याग्रहों से
झुकवाए दुश्मन शैतान
अँग्रेजों का क्रूर प्रशासन
भारतियों का बेबस हाल
ग़ुलामी की बेड़ियाँ पहने
मजबूर माँ बाप,और औलाद
फूट करो और राज करो
अँग्रेजो की ये कूट नीति थी
बेइमानो और गद्दारों की
अपने यहाँ भी कमी नही थी
कई जयचंद बैठे हुये थे
अँग्रेजों से हाँथ मिलाकर
बने विभीषण कई राजा
शत्रु को गुप्त राज बताकर
स्वार्थी और मक्कार लोगो के
कारण हमने बेपनाह दुख पाया
गाँधी जी के सत्याग्रहों ने
फिर हमको स्वराज दिलवाया
वीर नारायण माधव सप्रे ने ,
देश हित अपनी जान गवाँ दी
भगतसिंह लक्ष्मी बाई ने
इस क्रांति को और हवा दी
क्राँतिकारियों का अपना तरीका
गाँधी जी का अनोखा सलीका
प्रेम से पहले समझाते थे
फिर सत्याग्रह अपनाते थे
पैदल दाँडी यात्रा कर
लोगो को अपने साथ कर लिया
और हम ने उस विषम वक्त मे
मुकम्मल नेता पा ही लिया
देशवासियों को स्वतंत्र
जीने का तुमने मार्ग दिखाया बापू
सत्य अहिंसा के सिद्धांतो से
जनता को प्रेम करना सिखाया बापू
सौ सौ बार नतमस्तक होकर
आज तुमको हम करते याद
आप ना होते भारत मे तो
होता कहाँ भारत साम्राज्य
अपनी जान गँवाकर तुमने
देश को आजादी दिलवाई
हे राम कहकर के अंत में
देश को ईश भक्ति भी दिखाई
आज आपकी क़ुरबानी पे उस
प्रश्चिंह लग रहे हैं बापू
अपने वस्त्र तक त्यागने वाले
चरित्र पे दाग़ तक लग रहे है बापू
अच्छा हुआ ये दिन देखने से पहले
तुम यहाँ से चल दिए थे बापू
वरना ख़ुद पे ऐसे लांछन
कभी सहन ना कर पाते बापू
सारी श्रृद्धा लुप्त हो चुकी
भ्रमित हो जनता क्षुब्ध हो चुकी
आज अगर तुम जीवित होते
तो ख़ुद को हि गोली मार लेते बापू
खुद ही गोली मार लेते बापू
बाह ! बहुत सुन्दर रचना है आदरणीय !हार्दिक बधाई है आदरणीय!
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