*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Friday 2 October 2020

☆☆आजादी के दीवाने☆☆ (गीत) - अनवर हुसैन

☆☆आजादी के दीवाने☆☆  
(कविता)
आजादी   के   दीवानों   जो,
सर  बांधे  कफ़न  निकले थे
लहू  में मिला  के अपने  जो,
आजादी   वतन   निकले  थे
सरफरोश थी जिनकी तमन्ना,
दिलों में  आज भी  जिंदा है।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।

इंकलाब का दे के नारा,
इंकलाब  जो   लाए  थे
जिन के बनाए  बमों से,
दुश्मन  भी  घबराएं  थे
आजादी के दीवानों की,
यादें आज भी जिंदा है।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।

भारत मां की अस्मिता जिनको,
जान   से   अपनी    प्यारी  थी
हंस के कफ़न पहनने की यारों,
जिन के   लहू   में  खुमारी  थी
माटी के फरजंदो का,इंकलाब
आज   भी   यारों   जिंदा  है ।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।

पहने  झोला  वो  बसंती ,
देते कौमी तराना बढ़ गए
हाथों   में   लिए   तिरंगा ,
सूली  पे  हंसते  चढ़  गए
राष्ट्र प्रेम की  जली चिंगारी,
दिलों में आज भी जिंदा है।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।

अमर  हुए  मतवाले, दीवाने,
पाके शहादत वतनपरस्ती में
नाम   सुनहरा   कर   लिया
सब , दीवानों  की  बस्ती  में
हर दिल में  उन दीवानों की,
जोत  आज   भी  जिंदा  है।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
-०-
पता :- 
अनवर हुसैन 
अजमेर (राजस्थान)

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

2 comments:

  1. हार्दिक बधाई है आदरणीय ! सुन्दर रचना के लिये।

    ReplyDelete

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ