*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Wednesday, 2 December 2020

जीवन रिश्तों का मेला (कविता) - प्रशान्त कुमार 'पी.के.'

 

जीवन रिश्तों का मेला
(कविता) 
जीवन रिश्तों का मेला है,
फिर भी हर कोई अकेला है।
हैं अपने अपने में ही व्यस्त,
इस धरा पे ठेलम ठेला है।।
जीवन रिश्तों का मेला है....

पितु-मातु, सखा और भाई-बहन
पति - पत्नी से रिश्ते हैं जग में।
जीवन भर हमारे साथ चले,
पर भूले जब हम चले जग से।।
तब संग न गुरु और चेला है....
जीवन सुख दुख का मेला है...

चोरी, बेईमानी, हिंसा, असत्य,
खुद में मानवता ही रखना।
मानवता की खातिर जीते हुए,
पग पग पर प्रभु का भजन करना।।
जगत स्वप्न है करम का खेला है।।

फिर भी हर कोई अकेला है।।
जीवन रिश्तों का मेला है।।
-०-
पता -
प्रशान्त कुमार 'पी.के.'
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ