(कविता)
पता:
अतुल पाठक 'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)
घृणा बढ़ रही है चहुँओर
प्रेम घट रहा है जीवन में
घृणा में घृणा के ही योग से
घृणा का गुणनफल हो रहा है जीवन में
प्रेम शान्ति का बिगड़ रहा समीकरण
द्वेष का आकृमण बढ़ रहा है जीवन में
क्रूर हिंसा का बढ़ रहा संक्रमण
मानवता का गणित मानव नहीं सीख रहा है जीवन में
-०-पता:
अतुल पाठक 'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)
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