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Tuesday, 29 December 2020

किसान पर दोहे (दोहे ) -शिव कुमार 'दीपक'

 

किसान पर दोहे
(दोहे)          
जिसके श्रम बल से मिले, सबको रोटी-दाल ।
उसकी खाली थालियाँ , काटें  रोज  बबाल ।।-1

जिसके श्रम से भूख का, मिट जाता संत्रास ।
भूख, गरीबी, बेबसी,  हरदम  उसके  पास ।।-2

जिसके श्रम से खा रहा , खाना  हिन्दुस्तान ।
होगा उसकी भूख का, संसद को कब ज्ञान ।।-3

स्वेद, रक्त  से  सींचकर , खेती  करे  किसान ।
मिला नही श्रम का कभी,उसे उचित सम्मान ।।-4

गर्मी, पावस, शरद में , पाये  कष्ट  तमाम ।
दे न  सकीं ये नीतियां,हलधर को आराम ।।-5

कह आराम हराम है ,श्रम को पूजा मान ।
करे किसानी खेत में , आधा  हिंदुस्तान ।। -6

जब सोता सुख - चैन से, पूरा  हिंदुस्तान ।
तब सरहद पर घूमता , सारी रात जवान ।।-7

खा - पी  सोता  चैन  से , पूरा  हिन्दुस्तान ।
पेट देश का भर रहा,निर्धन आज किसान ।।-8

सजीं मेज पर थालियाँ, महक रहे पकवान ।
लगे अन्नदाता  बिना, घर-घर  में  रमजान ।।-9
-०-
शिव कुमार 'दीपक'
हाथरस (उत्तर प्रदेश)
-०-




***
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