*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Tuesday, 29 December 2020

भारत भाग्य विधाता' (कविता) - श्रीमती सरिता सुराणा

 

भारत भाग्य विधाता
(कविता)
वह असमंजस में था
चारों ओर छाए थे उसके 
निराशा के घनघोर काले बादल
दुविधा में पड़ गया था वह
उसके एक ओर कुंआ था
तो दूसरी ओर खाई
एक ओर कोरोना से मरने का डर
तो दूसरी ओर भूख का भय
वह करे तो क्या करे?
जाए तो कहां जाए?
अपने पैतृक गांव
जिसे वह छोड़ आया था
बरसों पहले
चला आया था शहर
रोजी-रोटी की तलाश में
बनाए थे उसने यहां लाखों आशियाने
अपने इन्हीं खुरदरे हाथों से
मगर उसे ही नसीब नहीं
एक टूटी-फूटी छत सिर छिपाने को
आज जब उसे सबसे ज्यादा जरूरत थी
इस शहर में एक सहारे की
तब दुत्कार रहा था वही
जिसे उसने ही सजाया-संवारा था
अपने खून-पसीने से
आज़ वही चक्की के दो पाटों के बीच 
पिस रहा था और सोच रहा था
वह आज भी असमंजस में था
जाए तो जाए कहां?
करे तो करे क्या?
इसी असमंजस में निकल पड़ा वह
पैदल ही अपने परिवार के साथ
अपना घर सिर पर उठाए
एक हाथ की अंगुली पकड़े बच्चा
दूसरे हाथ में टूटी-फूटी साइकिल
दो-चार एल्यूमीनियम के बर्तन और
कुछ फटे-पुराने चीथड़ेनुमा कपड़ों की 
पोटली उठाए उसकी पत्नी
बस यही तो थी उसकी जमा पूंजी
जिसे साथ लिए जा रहा था वह
वहीं, जहां से आया था
जैसे आया था, उससे भी बदतर हालत में
सहसा प्रश्न उठा कि
कौन था वह?
वह था भारत का भाग्य विधाता
सबके लिए रोटी, कपड़ा और मकान का निर्माता
बना नहीं पाया तो बस अपने लिए ही कुछ
दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर
नाम है उसका मजदूर!
-०-
श्रीमती सरिता सुराणा
हैदराबाद (तेलंगाना)
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

2 comments:

  1. सारगर्भित, बहुत खुब

    ReplyDelete
  2. हार्दिक आभार रिमझिम जी।

    ReplyDelete

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ