(कविता)
स्वागतम स्वागतम नव वर्ष की
नई भोर का स्वागतम स्वागतम
घने कोहरे की जद में है ये जहां
सूर्य के ताप से सुखद हो आबोहवा
प्रकृति के मनोहर रमणीय रूपका
स्वागतम स्वागतम
स्याह रात की बिखरी कालिमा
लपेटती स्वयं को चहु ओर से
डूबते तारोंसंग उगती उषाकिरण का
स्वागतम स्वागतम
हौले हौले अन्धकार मिट रहा
खिल रही प्रकाश की किरण
ओस की बूंदों से धुली प्रात का
स्वागतम स्वागतम
अलसित पलकेंमूंदती खोलती
खग कुल की कलरव से गुंजित
मनको हर्षित करती प्रभात का
स्वागतम स्वागतम*
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