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Saturday, 25 January 2020

तिरंगे का मान बढाये (कविता) - सुनील कुमार माथुर


तिरंगे का मान बढाये
(कविता)
हम भारतवासी है इसकी धरती
हमारी धरती माता है अतः
इस देश में रहना है तो
गणतन्त्र का सम्मान करना सीखों
कानून कायदों का पालन करना सीखो
राष्ट्र ध्वज का सम्मान करो
बडे बुजुर्गों का सम्मान करों
संस्कारों के साथ जीना सीखो
अगर इस देश में रहना है तो
गणतन्त्र का सम्मान करना सीखो
तिरंगे का मान बढाये ,
भारत मां की शान बढाये
मातृत्व, भाईचारा व सत्य व प्रेम को
तुम अपनाना सीखो
नैतिकता का पाठ पढना होगा
हिंसा का त्याग करना होगा
मानवीय मूल्यों को संजोए रखना होगा
पीड़ितों की सेवा करनी होगी
सबको साथ लेकर चलना होगा
संविधान का सम्मान करना होगा
गणतंत्र का सम्मान
भारत मां का सम्मान है
आओ हम संकल्प ले कि
इस तिरंगे का मान बढाये
भारत मां की शान बढाये
दीन दुखियों की सेवा करें
पीडितो को गले लगाये
संविधान का मान बढाये
सैनिकों का सम्मान करें
वीरागंनाओ का सम्मान करें
आओ हम संकल्प ले कि
इस तिरंगे का मान बढाये
भारत मां की शान बढाये


-०-
सुनील कुमार माथुर ©®
जोधपुर (राजस्थान)

***

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मेरा भारत महान (कविता) - एस के कपूर 'श्रीहंस'



मेरा भारत महान
(मुक्तक)
*****
1
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
एक संग नाम लेना है।

हैं एक देश की संतानें बस,
सभी को मान देना है।।

इतनी महोब्बत हो कि निशां,
नफरत का मिट जाये।

हम सब हैं भारत वासी बस,
यही पैगाम देना है।।

*****
2विश्व के शिखर पर हमें भारत
का नाम चाहिये।

चोटी पर लहराता तिरंगा
आलीशान चाहिये।।

चाहिये वही पुरातन विश्व गुरु
का दर्जा भारत को।

फिर वही सोने की चिड़िया
वाला हिंदुस्तान चाहिये।।

*****
3
शत शत नमन उन शहीदों को
जो देश पर कुर्बान हो गये।

वतन के लिए होकर बलिदान
वह बस बे जुबान हो गये।।

उनके प्राणों की कीमत पर ही
सुरक्षित है देश हमारा।

वह जैसे जमीन ऊपर उठ कर
आसमान हो गये ।।

*****
4
अम्बर के उस पार जा कर,
नया हिंदुस्तान बनाना है।

भारत के गौरव चंद्रयान से,
चाँद को छू कर आना है।।

अंतरिक्ष की उड़ान से सम्पूर्ण,
मानवता को देना है संदेश।

सम्पूर्ण विश्व में भारत को,
हमें महान कहलाना है।।
-०-
पता:
एस के कपूर 'श्रीहंस'
बरेली (उत्तरप्रदेश) 

-०-

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गणतंत्र उबल रहा है (कविता) - श्रीमती सरिता सुराणा




गणतंत्र उबल रहा है
(कविता)
गणतंत्र उबल रहा है,
जनतंत्र सुलग रहा है।
मेरे देश का प्रजातंत्र
आज़ आग उगल रहा है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में
तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा फैलाई जा रही
बात-बात में बसें और रेलगाड़ियां जलाई जा रही
कानून व्यवस्था की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही
पता नहीं ये सब कौन कर रहा है?
गणतंत्र उबल रहा है,
जनतंत्र सुलग रहा है।
मेरे देश का......
कहीं शाहीन बाग की सड़क बंधक बनाई जा रही
कहीं 'कश्मीर की मुक्ति' की तख्तियां दिखाई जा रही
कहीं 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' के नारे लगाए जा रहे।
देश का युवा वर्ग दिग्भ्रमित होता जा रहा है,
पता नहीं ये सब कौन कर रहा है?
गणतंत्र उबल रहा है,
जनतंत्र सुलग रहा है।
मेरे देश का प्रजातंत्र.......
फीस वृद्धि के विरोध में जेएनयू उबल रहा है
छात्र वर्ग मारपीट और गुंडागर्दी पर उतर रहा है
पुलिस बल डंडे के बल पर आक्रोश उगल रहा है
देश का मीडिया आग में घी डाल रहा है।
पता नहीं ये सब कौन कर रहा है?
गणतंत्र उबल रहा है,
जनतंत्र सुलग रहा है।
मेरे देश का प्रजातंत्र......
ये क्या हो रहा है, ये क्यों हो रहा है?
कौन है कर्ता-धर्ता, किसके इशारे पे हो रहा है?
है ये अबूझ पहेली, मेरा भारत सुलझा रहा है।
मेरा देश बदल रहा है, देश का मिज़ाज बदल रहा है।
पता नहीं ये सब कौन कर रहा है?
गणतंत्र उबल रहा है,
जनतंत्र सुलग रहा है।
मेरे देश का प्रजातंत्र
आज़ आग उगल रहा है।
-०-
श्रीमती सरिता सुराणा
हैदराबाद (तेलंगाना)
-०-

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सुभाषचन्द्र बोस (कविता) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'




सुभाषचन्द्र बोस
(कविता)
राष्ट्र सुरक्षित और सुखी हो,
इस हेतु जो खार बने।
हो किरदार सुभाष का जिसमें ,
अपना पहरेदार बने ।।

युद्ध घोष 'जय हिन्द" रहा,
ऐ लोगों जिसका जीवन में ।
लासानी जो सेना नायक,
रहा विश्व के आंगन में ।।
रही भूमिका क्रांतिकारी ,
जिसकी युग परिवर्तन में ।
नहीं मारा है, वो सुभाष,
जिन्दा हर एक युवा मन में ।।
ऐसे देशभक्त रहबर का,
सचमुच जो अवतार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें,
अपना पहरेदार बने ।।

आजादी पे मरने वाले ,
परवानों से प्यार करे ।
खून के बदले आजादी पाई,
सच ये स्वीकार करे।।
हाथ उठा पदवी लेने ,
वालों पर अपना वार करे।
भ्रस्ट व्यवस्था देख जिसे,
थर्राए हाहाकार करे।।
स्वाधीनता प्यारी जिसको,
पराधीनता भार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें,
अपना पहरेदार बने ।।

जहां कहीं भी रहे सदा,
मन में माता का ध्यान रहे।
सोते जगते जिसके ख्वाबों,
में बस देश प्रधान रहे ।।
हो न्योछावर तन मन धन से,
जननी की जो शान रहे।
दिल में दर्द रहे अपनों का,
अपनों पर कुर्बान रहे।।
वो "अनंत" अपना नेता हो,
अपना वो सरदार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें ,
अपना पहरेदार बने ।। -0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

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दास्तान भारत की (ग़ज़ल) - महावीर उत्तराँचली


दास्तान भारत की 
(ग़ज़ल)
जां से बढ़कर है आन भारत की
कुल जमा दास्तान भारत की

सोच ज़िंदा है और ताज़ादम
नौ'जवां है कमान भारत की

देश का ही नमक मिरे भीतर
बोलता हूँ ज़बान भारत की

क़द्र करता है सबकी हिन्दोस्तां
पीढियाँ हैं महान भारत की

सुर्खरू आज तक है दुनिया में
आन-बान और शान भारत की-०-
पता: 
महावीर उत्तराँचली
दिल्ली
-०-

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