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Monday, 25 January 2021

आओ गणतंत्र दिवस मनाये हम (कविता) - सुरेश शर्मा


आओ गणतंत्र दिवस मनाये हम
(कविता)
तीन रंगों से सजी सुन्दर तिरंगे से ,
आओ गणतंत्र दिवस मनाये हम ।
भेद भाव से परे हटकर हम सब ,
खुशियाॅ बिखेर दिल से सबको अपनाएं हम ।

तीन रंगों से सजी सुन्दर तिरंगे से , 
आओ भारत मां की शोभा बढाएं हम ।
विश्व की सर्वश्रेष्ठ गणतांत्रिक देश को ,
भाई चारे के प्यारे रंगों से सजाएं हम ।

तीन रंगों से सजी सुन्दर तिरंगे से ,
चारों दिशाओं को अपने गीतों से लुभाएं हम ।
एक दूजे के साथ हाथ मिलाकर ,
अपना 67वां गणतंत्र दिवस मनाएं हम।

तीन रंगों से सजी सुन्दर तिरंगे से , 
एकता और अखंडता का पाठ पढ़ाएं हम ।
जाती धर्म को एक सूत्र मे पिरोकर, 
अपने देश का मान-सम्मान बढाएं हम ।
-०-
सुरेश शर्मा
गुवाहाटी,जिला कामरूप (आसाम)
-०-

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Friday, 22 January 2021

कोख की तड़प (कविता) - अनामिका

कोख की तड़प
(कविता)
कुछ छोटे -छोटे पौधे जो
आंगन में उसने रोपें थे
जाने कब वो बन गये पेड़
हिलकर समीर के झोंके से,

उसकी ममता की छाया में
निज तन निहार इठलाते है
अब उसको छाया देते है
उस पर फल फूल लुटाते है,

सूरज क़ी भीषण गर्मी से
ज़ब भी मुरझा से जाते थे
उसका पाकर कोमल स्पर्श
नव जीवन से भर जाते थे,

नवजात शिशु की भांति ही वो
उन पर निज स्नेह लुटाती थी
निज रिक्त कोख की पीड़ा को
वो भूल उसी पल जाती थी,

जैसा रिश्ता माँ बच्चों का
वैसा था उसका पौधों से
पल -पल टूटी थी समाज में
सूनी कोख के विरोधों से।।
-०-

पता: 
अनामिका
खुर्जा (उत्तरप्रदेश) 

-०-

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Thursday, 21 January 2021

महत्त्वाकांक्षा (कविता) - आदित्य अभिनव

 

महत्त्वाकांक्षा 
(कविता)
     मैं तीन पग से 
      पूरी दुनिया,
      मापना चाहता हूँ
      वामन की तरह।
      मैं चाहता हूं कि 
      मेरा पग 
      इतना बड़ा हो जाए कि 
     उसमें 
     सारी दुनिया समा जाए ;
     लेकिन 
     नहीं मिलता मुझे 
     राजा बलि का सिर ,
     जिस पर रख सकूँ 
     अपना पाँव ।
-०-
पता: 
आदित्य अभिनव उर्फ डॉ.  चुम्मन प्रसाद श्रीवास्तव 
कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश)

-०-

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Monday, 18 January 2021

रूठकर उदास (ग़ज़ल) - अलका मित्तल


रूठकर उदास 
(ग़ज़ल)
रूठकर उदास बैठी हैं ख़ुशियों इक ज़माने से
पर ग़म चले आते हैं किसी न किसी बहाने से

ओढ़ने से चादर ग़मों की हासिल कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी के कुछ दर्द चले जाते हैं मुस्कुराने से

कभी पा लूँ उसे ये तो शायद मुमकिन ही नहीं
तबियत बहल जाती है ख़्याल उसका आने से

ख़्वाहिश न हो जब तलक रिश्ते नहीं बनते
गर चाहो दिल से बात बन जाती है बनाने से।

तुम कभी दिल की गहराइयों से अपनी पूछना
कितना सुकूँ मिलता है ओरो के काम आने से

खामोशियाँ सी छा गईं उसके मिरे दरमियाँ
नहीं भूलती वो यादें”अलका”लाख भुलाने
-०-

पता:
अलका मित्तल
मेरठ (उत्तरप्रदेश)

-०-

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मेरा भारत महान है (कविता) - प्रीति चौधरी 'मनोरमा'

  

मेरा भारत महान है
(कविता) 
मेरे देश को नमन करता यह जहान है,
हृदय गाता रहे मेरा भारत महान है।

जहाँ कल - कल बहती है गंगा पावन 
जहाँ  प्रतिक्षण बरसता है प्रेम का सावन,
जहाँ विवाह होता है सात जन्मों का बंधन
उस देश की भूमि को शत- शत वंदन,
पूण्य भारत भारती पर प्राण कुर्बान है।
हृदय गाता रहे मेरा भारत महान है...

जहाँ अहिंसा ही होती परम् धर्म है
जहाँ व्यक्ति जानते वेद,पुराणों का मर्म है,
जहाँ भाग्य से बड़ा होता सत्कर्म है,
जहाँ पिता नारियल का जैसा सख़्त और नर्म है,
मेरे देश में हिंदी भाषा का सम्मान है।
हृदय गाता रहे मेरा भारत महान है...

जहाँ प्रस्तर का भी पूजन होता है,
रूप तुलना में गुणों का नमन होता है,
त्योहारों पर आत्मीयता से आलिंगन होता है,
बुजुर्गों की सेवा का प्रचलन होता है,
भारत में माँ- बाप भगवान के समान हैं।
हृदय गाता रहे मेरा भारत महान है  ..
-०-
पता
प्रीति चौधरी 'मनोरमा'
बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)

-०-


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