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Monday, 4 November 2019

तलाशते रहिए (गज़ल) - विष्णु देवी तिवारी 'उषा तिवारी' (नेपाल)


तलाशते रहिए
(गज़ल)   
कहीं दरख़्त कहीं घर तलाशते रहिए ।
हवा के रंग का मंज़र तलाशते रहिए ।

यक़ीन हो न हो लेकिन यही मुनासिब है
हरेक मोड़ पे रहबर तलाशते रहिए ।

हमें शिकस्त न देगी समय की ये उलझन
दिलों में फ़िक्र के पत्थर तलाशते रहिए ।

तमाम राह दिखाई न दे जो क़ातिल तो
उसी के हाथ में खंज़र तलाशते रहिए ।

जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है
कदम कदम पे समुन्दर तलाशते रहिए ।
-0-
विष्णु देवी तिवारी 'उषा तिवारी' (नेपाल)
भरतपुर-३, नारायाणगढ, चितवन (नेपाल)





-०-

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1 comment:

  1. विदेश के साहित्यिक भी जुड़े हैं बहुत बढ़िया 👌👌🙏🙏

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