उन्नति का साल
हो सिर्फ उत्थान चहुं ओर
न दिखे पतन कोई हाल
हर दिन आशा से लिप्त
हर पल हो बड़ा कमाल
साथ छोड़ आलस्य भागे
तज दें अवनति-जंजाल
पा जाएं हर चाह सभी ही
न रहे किसी को मलाल
साकार स्वप्न,अग्रणी कदम
बाधा से जीतें,ले ढाल
हर दिन पर-स्व की मदद हो
निर्मल रहे सदा ख्याल
No comments:
Post a Comment