(ग़ज़ल)
कहानी तो अच्छी सुनाई आपने।
सुनाकर ली अँगड़ाई आपने ।क्या कहना था क्या सुनना था
बातें तो बहुत बनाई आपने।
हम सुनते रहे तुम सुनाते ही गये
रात हसीन यूँ ही बिताई आपने।
सपने दिखाकर मुझे अपना बनाया
अब क्यों की जग हँसाई आपने।
बहारें चमन और ख़ुश्क खिजाँ
ये तेज़ आँधी क्यों चलाई आपने।
हम तो वैसे ही सो जाते लेक़िन
सहर तक वफ़ा ही जताई आपने।
*रेणू अग्रवाल*
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