पानी का इतिहास
पर्वत से नदियाँ उतर
देती यह विश्वास
प्रेम सभी के हृदय में
सूखा कोई सिक्त
द्रवित कोई होता अधिक
रहता कोई रिक्त
इस पर निर्भर भावना
खुश या रहे उदास
सिंचित मानस को करे
कर्म - धरा को बाँट
नर क्षमता के हाथ से
लेता उसको छाँट
फल की फसलें खोलती
भौतिक भरा विकास
जीवन में बनते सदा
वृक्ष प्राण के सेतु
पत्थर पानी मध्य में
जो मिट्टी के हेतु
पंच भूत की वाहिनी
है सरिता आभास
मन को देती प्रेरणा
जन को देती सीख
बहो निरन्तर अन्त तक
दो, माँगों ना भीख
हृदय प्रवाहित सभी का
दूर रखो या पास
-०-
पर्वत से नदियाँ उतर
देती यह विश्वास
प्रेम सभी के हृदय में
सूखा कोई सिक्त
द्रवित कोई होता अधिक
रहता कोई रिक्त
इस पर निर्भर भावना
खुश या रहे उदास
सिंचित मानस को करे
कर्म - धरा को बाँट
नर क्षमता के हाथ से
लेता उसको छाँट
फल की फसलें खोलती
भौतिक भरा विकास
जीवन में बनते सदा
वृक्ष प्राण के सेतु
पत्थर पानी मध्य में
जो मिट्टी के हेतु
पंच भूत की वाहिनी
है सरिता आभास
मन को देती प्रेरणा
जन को देती सीख
बहो निरन्तर अन्त तक
दो, माँगों ना भीख
हृदय प्रवाहित सभी का
दूर रखो या पास
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