हिन्दू- मुसलमान
(लघुकथा)
राशिद जैसे ही नमाज़ से घर लौटा तो आठ वर्षीया राधा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- " भाईजान ! आपको सुबह से ही राखी बांधने के लिए खोज रही हूं.... और आप ईद का चांद बने हुए हैं "
"अरे मुन्नी ! मैं मुसलमान हूं; तुम भला मुझे राखी कैसे बांध सकती हो ?"
" वैसे ही जैसे आपने मेरे सर में चोट लगने की वजह से अपना कीमती खून देकर एक हिंदू लड़की की जान बचाई थी " राधा ने पट से उसकी कलाई पर राखी बांधते हुए कहा तो, राशिद की आंखों में पानी भर गया।
पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)
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