(कविता)
पवित्र-प्रेम ,विश्वास तुम्हीं हो।
बचपन के हमराज तुम्हीं हो।
सुख-दुःख के क्षण साथ तुम्हीं हो।
राखी-दिवस तुम्हीं-से ,हे मेरे भैया!
जीवन के सब साज तुम्हीं हो।
पास रहो, चाहे दूर रहो,
जीवन के हर-क्षण में तुम हो।
"राखी"के इस अमूल्य पर्व पर,
सिर्फ रक्षा का वादा नहीं ,
हम भी है अब साथ तुम्हारे।
यूँ न तुम विवश कभी होना,
बहनें भी है, असली सोना।
सुख की छाया तुम पर बरसे।
तुम अमृत घट बन जाओ भैया,
जिससे धरती,अम्बर महके।
-०-बचपन के हमराज तुम्हीं हो।
सुख-दुःख के क्षण साथ तुम्हीं हो।
राखी-दिवस तुम्हीं-से ,हे मेरे भैया!
जीवन के सब साज तुम्हीं हो।
पास रहो, चाहे दूर रहो,
जीवन के हर-क्षण में तुम हो।
"राखी"के इस अमूल्य पर्व पर,
सिर्फ रक्षा का वादा नहीं ,
हम भी है अब साथ तुम्हारे।
यूँ न तुम विवश कभी होना,
बहनें भी है, असली सोना।
सुख की छाया तुम पर बरसे।
तुम अमृत घट बन जाओ भैया,
जिससे धरती,अम्बर महके।
पता:
सोनम कुमारी
-०-
हार्दिक बधाई है बहना को सुन्दर रचना के लिये।
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