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Thursday, 6 August 2020

हे परम प्रिय (गीत ) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'

हे परम प्रिय 
(गीत )
हे  परम   प्रिय  गुलबदनी  तू,
शक्ति     मेरी   सम्मान   मेरा।
है    प्राण    प्रिये    प्राणेश्वरी,
कितना तुझको है ध्यान मेरा।।
*****
तेरे  बिन  जीवन   कानन  ये,
कब  हरा भरा  रह   पाता  है।
जिस तरह लुटाता जल जीवन,
तेरा     मेरा    वो   नाता    है।।
कलकल करती सरिता  है तू,
तन का मोहक  परिधान मेरा।।
हे    प्राण     प्रिये    प्राणेश्वरी,
कितना तुझको  है ध्यान मेरा।।
*****
जब  कभी  उदासी  का डेरा,
मन आंगन  में  लग  जाता है।
मृदु  हाॅस  तेरा  जादू  करता,
आंगन  में  खुशियाँ  लाता है।।
उल्लास  उमंगों  की  वाहक,
तू  दूर   करें  व्यवधान  मेरा।
हे    प्राण   प्रिये    प्राणेश्वरी,
कितना तुझको है ध्यानमेरा।।
*****
तू  साथी  बनकर  साथ  रहे,
जीवन के कष्ट  हरा  करती।
मैं हूँ किसान कृशकाय मगर,
तू    है    मेरी   उर्वर    धरती।।
खुशहाली   की   दाता  है तू,
है भाग बहुत  बलवान  मेरा।
हे   प्राण    प्रिये    प्राणेश्वरी,
कितना तुझको है ध्यानमेरा।।
******
सुखदुख में साथ"अनन्त" तेरा,
ऋण   कैसे   तेरा   चुकाऊँगा।
तुझको दिलकी मलिकाअपने,
मैं   बना   सतत  सुख पाऊँगा।।
तू   ज्ञान    दायिनी   देवी   है,
हरती    रहना   अज्ञान   मेरा।
हे     प्राण    प्रिये    प्राणेश्वरी,
कितना तुझको है ध्यान  मेरा।।
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-



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