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Sunday, 13 September 2020

दिलासा, सांत्वना (कविता) - रीना गोयल

दिलासा, सांत्वना
(कविता)
क्यों जीवन से हार गए हो ,आस किरण को मत तोड़ो ।
मन को तनिक दिलासा दो तुम,दुख से यूँ मुँह मत मोड़ो ।

क्यों संताप करें अतीत पर ,बुरे समय में रुदन करें ,
दुविधा से टकराना सीखें,असफलता का दमन करें ,
संकल्पों को नई राह दो ,मन उम्मीदों से जोड़ों।।

मन को तनिक दिलासा दो तुम,दुख से यूँ मुँह मत मोड़ो ।

मौन निशा के अंधकार के ,बाद सवेरा होता है ,
पाने का सुख वो ही समझे ,जो अपना कुछ खोता है ,
धन दौलत तो मात्र चंचला ,व्यर्थ मोह इनसे छोड़ो ।।
मन को तनिक दिलासा दो तुम,दुख से यूँ मुँह मत मोड़ो ।

अगर निरंतर यतन रहे तो ,किस्मत साथ निभाती है ,
धर्म समझ लो अगर कर्म को ,मंजिल गले लगाती है ,
ठोकर देती सीख सदा ही ,तार दिलों के मत तोड़ो ।।
मन को तनिक दिलासा दो तुम,दुख से यूँ मुँह मत मोड़ो ।।
-०-
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)




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