ऑनलाइन कक्षाओं का बच्चों के शारीरिक विकास पर दुष्प्रभाव
(आलेख)
कोरोना महामारी के चलते हमारी ज़िंदगी में बहुत बदलाव आए हैं | जहाँ एक ओर अर्थव्यवस्था और जीवनयापन पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिला वहीं इसका एक और पक्ष बहुत घातक सिद्ध हुआ है, वो है बच्चों की भाग-दौड़, खेल-कूद, उनका बैग टाँगकर विद्यालय की ओर बढ़ना और एक खूबसूरत नियमित ज़िंदगी |
नर्सरी की नन्ही उम्र तो एक नन्हें पौधे सी होती है, जिसे विद्यालय के खुले प्रांगण,खिली धूप और ज्ञान और स्नेह के जल की आवश्यकता होती है ताकि वह निखर सके, बढ़ सके,
किन्तु इस मासूम उम्र से लेकर आज विद्यालय जाने वाला हर उम्र का बच्चा घर में कंप्यूटर-लेप्टोप की स्क्रीन के आगे बैठा है | लगभग पिछले पाँच महीने से शिक्षा का यह तकनीकी माध्यम एक ओर उनके 2020 के शिक्षा सत्र को आगे बढ़ा रहा है वहीं घंटो तक उनका स्क्रीन के आगे बैठने का समय भी बढ़ चुका है | पढ़ाई, परीक्षाएँ, हर गतिविधि इन्हीं के प्रयोग से संभव है | बच्चों का एक जगह पर इतनी देर तक बैठना उनके शारीरिक विकास के मार्ग में बाधा बन गया है | बच्चे कभी कमर मोड़ते हैं, कभी उल्टे-सीधे आसन में बैठते-लेटते हैं और अभिभावक यदि पास में न हों तो टीचर के सामने अपनी वीडियो बंद कर आराम से गेम खेलते हैं, सो जाते हैं |
प्रश्न यह है कि अभी तो यह परिस्तिथि नहीं कि विद्यालय खुलने के कोई आसार नज़र आते हों आगे अभी कब तक ऐसा चलेगा कुछ भी निश्चित नहीं |
यह एक बड़ी समस्या बन रहा है, इससे न केवल शारीरिक विकास अवरुद्ध हो रहा है बल्कि बच्चे लिखित अभ्यास के प्रति भी बोझिल हो रहे हैं जो कि व्यवहारिक शिक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है | सोचना होगा कि घर पर रहकर बच्चों को फ़िज़िकल एक्टिविटीस में कैसे व्यस्त किया जाए ताकि वो इस कोरोना काल में भी स्वस्थ-सक्रिय और प्रसन्नचित रह सकें और कुछ नया सीख सकें |-०-
नर्सरी की नन्ही उम्र तो एक नन्हें पौधे सी होती है, जिसे विद्यालय के खुले प्रांगण,खिली धूप और ज्ञान और स्नेह के जल की आवश्यकता होती है ताकि वह निखर सके, बढ़ सके,
किन्तु इस मासूम उम्र से लेकर आज विद्यालय जाने वाला हर उम्र का बच्चा घर में कंप्यूटर-लेप्टोप की स्क्रीन के आगे बैठा है | लगभग पिछले पाँच महीने से शिक्षा का यह तकनीकी माध्यम एक ओर उनके 2020 के शिक्षा सत्र को आगे बढ़ा रहा है वहीं घंटो तक उनका स्क्रीन के आगे बैठने का समय भी बढ़ चुका है | पढ़ाई, परीक्षाएँ, हर गतिविधि इन्हीं के प्रयोग से संभव है | बच्चों का एक जगह पर इतनी देर तक बैठना उनके शारीरिक विकास के मार्ग में बाधा बन गया है | बच्चे कभी कमर मोड़ते हैं, कभी उल्टे-सीधे आसन में बैठते-लेटते हैं और अभिभावक यदि पास में न हों तो टीचर के सामने अपनी वीडियो बंद कर आराम से गेम खेलते हैं, सो जाते हैं |
प्रश्न यह है कि अभी तो यह परिस्तिथि नहीं कि विद्यालय खुलने के कोई आसार नज़र आते हों आगे अभी कब तक ऐसा चलेगा कुछ भी निश्चित नहीं |
यह एक बड़ी समस्या बन रहा है, इससे न केवल शारीरिक विकास अवरुद्ध हो रहा है बल्कि बच्चे लिखित अभ्यास के प्रति भी बोझिल हो रहे हैं जो कि व्यवहारिक शिक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है | सोचना होगा कि घर पर रहकर बच्चों को फ़िज़िकल एक्टिविटीस में कैसे व्यस्त किया जाए ताकि वो इस कोरोना काल में भी स्वस्थ-सक्रिय और प्रसन्नचित रह सकें और कुछ नया सीख सकें |-०-
पता:
भावना 'मिलन' अरोड़ा
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