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Monday, 30 November 2020

जिंदगी (कविता) - गोरक्ष जाधव

जिंदगी
(कविता) 
जिंदगी आसान-सी है और हसीन-सी है,
हम ही उसे मुश्किल बना देते हैं।

कभी अनगिनत इच्छाओं के कारण,
कभी अनचाहे ढकोसलों के कारण,
कभी विकलांग कर्मों के कारण,
कभी भ्रमित भ्रमों के कारण,

हम ही उसे मुश्किल बना देते हैं।
वरना जिंदगी आसान-सी है और हसीन-सी है।

कभी प्रलोभित संग्रह के कारण,
कभी आंतरिक संघर्ष के कारण,
कभी अहंता अश्व पर सवार होकर,
कभी अकल्पित कल्पनाओं भार लेकर,

हम ही उसे मुश्किल बना देते हैं।
वरना जिंदगी आसान-सी है और हसीन-सी है।

जिंदगी प्रेम का धाम है,
जिंदगी सुनहरी भोर और मधुरम शाम है,
जिंदगी विश्राम का विश्राम है,
जिंदगी अंत का विराम है,

हम ही उसे मुश्किल बना देते हैं।
वरना जिंदगी आसान-सी है और हसीन-सी है।

जिंदगी साँसों की यातायात हैं,
जिंदगी धड़कनों की कायनात हैं,
जिंदगी रूह की जादूगरी है,
जिंदगी ईश्वर की बाजीगरी है,

हम ही उसे मुश्किल बना देते हैं।
वरना जिंदगी आसान-सी है और हसीन-सी है।
-०-
गोरक्ष जाधव 
मंगळवेढा (महाराष्ट्र)
 

-०-




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2 comments:

  1. वाह! बहुत सुन्दर रचना है बिलकुल सही है जिंदगी आसान सी है और हंसीन सी है। हार्दिक बधाई है आदरणीय ।

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    1. धन्यवाद जी,आपका प्रोत्साहन स्नेह बना रहे।

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