यादों के कैनवास !
(कविता)आप क्यों इतने उदास हैं ।
दूर होकर भी हम पास हैं ।
खोलके देखिए खिड़कियां ;
फैला हर तरफ उजास है ।
हिचकियों की हैं कुंचियां ;
यादों के अब कैनवास हैं ।
पतझड़ों के घरों में अब ;
खुशियों के मधुमास हैं ।
अंखियों के गांवों में अब ;
सपनों के अमलतास हैं ।
शब्दों के हैं रोज़ रोज़े ;
चिट्ठियों के उपवास हैं ।
सुखों का है राज तिलक ;
दु: ख़ों को वनवास है ।
खराब वक़्त गुज़र गया -
घरों में हास - परिहास है ।
सूखे को भी अब ' आनन ' ;
सावन - भादौ की आस है ।
-०-
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