कोरोना काल में मनाया बिहू नृत्य
(संस्मरण)
लौकडाउन और कोरोना की वजह से बिहू नृत्य घर के अन्दर ही मनाया गया । अप्रैल २०२०
बिहू असम की प्राचीन सांस्कृतिक रीति रिवाज तथा अलग- अलग भाषाओं के लोगो की सामुहिक उत्सवोंढ के समूह को दर्शाता है । दुनिया भर में बसे असम के प्रवासी लोग इसे बहुत ही धूमधाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाते है एवं आपस मे खुशियाॅ बांटते है ।
बिहू असम की प्रमुख त्योहारओर मे से एक है। यह त्योहार वैशाख महीने मे आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की वजह से बहार बिहू के नाम से भी जाना जाता । अप्रैल महीने के मध्य मे यानि वैशाख महीने के एक तारीख से असमिया लोग अपनी नए वर्ष की सुरूआत मानकर नये साल का जश्न मनाते है । साल के प्रथम दिन घर के सभी छोटे बड़े को नये कपड़े पहनने का रिवाज है ।
यह त्योहार मुख्य रूप से सात दिनों तक अलग-अलग रीति रिवाजों के साथ मनायाजाता के । किशोरियां एवं नौजवान एक विशेष परिधान मे बिहू नाचते गाते हैं । जिसमे कुछ वाद्य यंत्र विशेष रूप से बजाये जाते हैं , जैसे ढोल, पेंपा ,गगना ,झाल तथा किशोरियां एक विशेष प्रकार की फूल जिसे 'कपो फूल' के नाम से जाना जाता है उसको अपने माथे पर बंधे खोपा में लगाते है और हाथों मे एक विशेष प्रकार की चूड़ी जिसे 'गाम खारू' के नाम से असम मे लोग जानते हैं उसे बिहू नृत्य करते वक्त ही पहने जाते है ।
इस बिहू मे लोग जाति धर्म को बहुत ही पीछे छोड़ते हुए बड़े ही मस्ती और धूम-धाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते है इस पर्व को।
मगर इसबार मैंने कुछ लोगों से पूछा तो बड़े ही निराश दिखे लोग । बोले कोरोना वायरस की वजह से हमलोगों की सारी आशाएं आकांक्षाएं धूमिल हो गई । इस त्योहार की विशेषता यह होती है कि लोग रंग -बिरंगी कपड़े पहन कर एक झुंड बनाकर ढोल बांसुरी और कई अन्य तरह के वाद्य यंत्रों को साथ लेकर लोगों के घर जाकर बिहू नाचते और गाते है और बडों का आशीर्वाद लेते है ।
यह त्योहार मुख्य रूप से नाच गानों का ही होता है ।
मगर इसबार कोरोना संकट और लौकडाउन की समस्या की वजह से सबकुछ फीका-फीका तथा चारों तरफ माहौल सुना सुना दिखा । लड़के लड़कियां सभी बिहू की त्योहार को घर के अन्दर ही मनायें तथा मस्ती करते हुए दिखाई पड़े , अन्य सालों की तरह घर के बाहर स्टेज पर प्रोग्राम करते हुए नही ।
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