*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Tuesday, 20 October 2020

सृजन महोत्सव वर्षगाँठ - 26 अक्तूबर 2020

सादर सस्नेह नमस्कार,
           आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है कि 26 अक्तूबर 2020 के दिन सृजन महोत्सव पटल को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है. पूरे वर्ष में साहित्य सृजन महोत्सव पर आपका लेखन प्रकाशित करते हुए साहित्यिक सृजन का आनंद उठाते हुए भारतवर्ष सहित विदेशों तक पहुँचाने का कार्य सृजन महोत्सव पटल ने किया है. इस पटल पर देश सहित विदेशी रचनाकारों का प्यार बहुत मिला और मिल रहा है. इससे हम अभिभूत है. आपका स्नेह और साहित्य सृजन के प्रचार-प्रसार में योगदान मिलता रहेगा, यह विश्वास है.
          सृजन महोत्सव पटल की वर्षगाँठ पर इस कार्य को बढ़ावा देने हेतु आपसे निवेदन है कि सृजन महोत्सव पटल पर समय-समय पर प्रकाशित हो रही सृजन महोत्सव पटल की प्रस्तुति, आपकी रचनाओं की प्रस्तुति, सम्मानित प्रमाणपत्र आदि पर अपने अमूल्य अभिमत एवं सुझाव प्रदान कर हमारा हौसला बढाए. साथ ही प्रतिदिन प्रकाशित हो रही रचनाओं के लिंक अपने मित्र, साहित्यकार, हिंदी प्रेमी एवं पठन में रूचि रखने वाले हर व्यक्ति तक पहुँचाने का कष्ट करें.
         आप सभी जानते है कि सृजन महोत्सव ब्लॉग की नींव रखने के बाद 'सृजन महोत्सव पत्रिका' का प्रवेशांक भी प्रकाशित हो चूका है. उसकी ई कापी सभी तक व्हाट्सअप, फेसबुक आदि के माध्यम से पहुंचाई है. इस पत्रिका का द्वितीय अंक नवंबर-दिसंबर 2020 है. इस हेतु पूर्व पत्रिका पर अभिमत सुझाव एवं अपनी अप्रकाशित स्तरीय रचनाएँ 25 अक्तूबर 2020 तक भेजकर सहयोग प्रदान करें.!!!

ई-मेल पता - editor.srijanmahotsav@gmail.com

srijanmahotsav@gmail.com


         सृजन महोत्सव ब्लॉग आप सभी का मंच है. इसकी वर्षगाँठ पर आप सभी को अग्रिम शुभ कामनाएँ एवं बधाइयाँ!!!

भवदीय,
संपादक द्वय
राजकुमार जैन 'राजन'
मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

98281219919/ 9730491952


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सृजन महोत्सव : माह सितंबर २०२० की उत्कृष्ट रचनाएँ

 सृजन महोत्सव पटल की माह सितंबर २०२० की उत्कृष्ट रचनाएँ 

               आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि पिछले वर्ष दीपावली के पावन पर्व पर प्रारंभ किए इस पटल पर आज तक ३२५ से अधिक साहित्यकार एवं उनकी लगभग १२०० से भी अधिक रचनाएँ प्रकाशित की जा चुकी है. सभी रचनाकारों की विभिन्न विधाओं में प्रेषित और इस पटल पर प्रकाशित रचनाएं मौलिक एवं स्तरीय है, इसमें कोई दोराय नहीं है. आप सभी सृजन धर्मियों का बहुत ही अच्छा प्रतिसाद, स्नेह और प्रेम मिल रहा हैं. इसके चलते आज तक लगभग ५२,००० से भी अधिक  लोगों ने इस पटल को भेट दी है.
              आज इस पटल के माह सितंबर २०२० की सर्वाधिक पसंदीदा गद्य और पद्य विधा की सर्वाधिक पसंदीदा रचनाकार को भी सृजन महोत्सव परिवार की और से प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जा रहा है. वह निम्न हैं -


गद्य विधा में भारत वर्ष के सरस्वती नगर (हरियाणा) की 
रीना गोयल जी की लघुकथा 'शुद्धिकरण' पर
'गद्य सृजन शिल्पी' 
सम्मान से 
पटल की ओर से सम्मानित करते हुए तथा
सम्मान पत्र सपुर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं.


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-०-
पद्य विधा में भारत वर्ष के मंगळवेढा (महाराष्ट्र) के
गोरक्ष जाधव जी की कविता 
'स्व-अनुशासन' पर
'पद्य सृजन शिल्पी'
सम्मान से 
पटल की ओर से सम्मानित करते हुए तथा
 सम्मान पत्र सपुर्द करते हुए हर्ष हो रहा हैं. 


यह रचना पढ़ने के सम्मान पत्र पर क्लिक करें
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दोनों सृजन शिल्पियों का एवं हमारे साथ जुड़े सभी साहित्य कर्मियों का
हार्दिक आभिनंदन !!!



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Monday, 19 October 2020

ट्रेन देशभक्ति की (कविता) - डॉ.राजेश्वर बुंदेले 'प्रयास'

  

ट्रेन देशभक्ति की
(कविता)
समाज में देश-भक्ति नाम की कोई चीज ही नहीं बची, बनवारी लाल बड़े ही गंभीरतापूर्वक कह रहे थे। 

जिसे देखो वह स्वार्थ में डूबता जा रहा है।  हमें स्वतंत्रता कैसे मिलीं, लोगों को इस बात की कुछ महत्ता ही नहीं,
धीरे-धीरे  बनवारी लाल कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो रहे थें।

 ट्रेन के डिब्बे में बैठें सभी यात्रींगण बड़ी ही आत्मीयता से उनकी बातों को महत्व दे रहें थें। 

तभी उनहोंने अपनी जेब से कागज की पुड़िया निकाली और उसमें से एक पान अपने मुंह में  ठूंसा और फिर उसी पटरी पर आ गये। 

पान की मिठास थीं या लोगों की सहमती अब तो देश-भक्ति की ट्रेन द्रुत गति से दौड़ रही थीं। 

लग रहा था वह पान ,उनमें देश-भक्ति का जोश भर चुका हो।

तभी बीच में उन्होने मुँह से एक पिचकारी की धार निकाली जो सीधे डिब्बे के कोने में जा गिरी। 

सभी लोग इस कृति से अचंभित हुएं। 

और फिर क्या, पिचकारी के बाद भी बनवारी लाल की देश-भक्ति की ट्रेन अपनी रफ्तार पर कायम थीं परंतु अब उस ट्रेन में वे अकेले ही सफर कर रहे थें।
-०-
डॉ.राजेश्वर बुंदेले 'प्रयास'
अकोला (महाराष्ट्र)
-०-

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मजदूर के दरद (गीत) - राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'


मजदूर के दरद 
(गीत)
मजदूर के दरद को भी सुनलो,
हम किसे अपनी पीड़ा बताएं।
मर रहे भूखे बच्चे हमारे,
खाना लाकर कहा से खिलाएँ।
मजदूर के दर्द को भी सुनलो..
मर रहे भूख से खाना बिन
हर तरफ़ बेबसी और लाचारी।
चल रहे मीलों पैदल हम रोज,
क्या बताएं क्या हालत हमारी।।
पड़ गए पैरों में इतने छाले,
बोलो मरहम कहाँ से हम लाएं।
नासूर जख़्म अब बन गए हैं,
इनमें मरहम हम कैसे लगाएं।।
मजदूर के दर्द को भी सुनलो…
दो वकत की हम रोटी के ख़ातिर,
दर बदर हैं भटकते शहर में।
घर भेज दो हमें कोई अपने,
आएंगे न कभी अब शहर में।।
बढ़ गए दर्द अब हद से ज्यादा,
अपने आँसू किसे हम दिखाएँ।
हर घड़ी मौत का है अब शाया,
एक एक पल हम मर मर बिताएं।।
मजदूर के दर्द को भी सुनलो...
-०-
पता- 
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)

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शैलपुत्री (घनाक्षरी) - अख्तर अली शाह 'अनन्त

 

शैलपुत्री
(घनाक्षरी)
प्यारे प्यारे  चेहरे हैं  प्यारे  प्यारे  रूप  लिए ,
हर  कोई  देख  देख  वारी  वारी   जाता  है।
हिमालय  की  पुत्री है  शैलपुत्री सख्तजान,
महिमा  को उसकी  तो,सारा जग  गाता है।।
दृढ़ता  की  है मिसाल  ,वृषभ  वाहन  रखे ,
कितनी  है   मनहर , रूप   बड़ा  भाता  है।
अपमान पति  का जो,सह नहीं पाई  जरा,
योग की अग्नि में भष्म, हुई सती माता है।।

देवताओं का किया  है चूर गर्व  देवी  वही,
हेमवती , शैलपुत्री   कहलाने    वाली   है।
पीर  हरे अपनों  की,लाज रखे सपनों की,
महामाया,  विघ्नहरे   वही  महाकाली  है।।
प्रजापति दक्षकी जो कन्यारही जानेसभी,
गिरीराजा हिमाला की सुता वो निरालीहै।
उसकी वो  हुई यहां आदर से जिसने भी,
पायाहै आशीष रूठी माताको मनालीहै।। 
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अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
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सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ