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Tuesday, 29 September 2020

शुद्धिकरण (लघुकथा) - रीना गोयल

शुद्धिकरण 
(लघुकथा)
            माया देवी एक धनाढ्य परिवार की  उच्च जाति की महिला थी ।पति की असमय मृत्यु के बाद उन्होने  ही अपने दोनों बेटों ,मनुज ओर अनुज को अकेले पाला था। किन्तु उच्च जति का गर्व उनकी हर बात में झलकता था... मनुज का विवाह अपनी जाति और बराबर के खानदान में करके फूली नही समायी थी  वे । लेकिन अनुज को  उसके साथ काम करने वाली दलित सुधा से प्रेम हो गया था । माँ के बहुत विरोध करने पर भी अनुज ने सुधा से विवाह कर अलग रहना शुरू कर दिया ।माया देवी ने स्वीकार जो नही किया सुधा को ...
            समय बीतता रहा ......
             दो वर्ष बाद जाने कैसे माया देवी के पूरे बदन में कोढ़ निकल आया कोई पास लगने को तैयार नही 
मनुज की पत्नी तो देखती भी नही थी । बहुत बुरी हालत हो चली थी माया देवी की लेकिन ऐसी स्थिति में सुधा ने दलित होते हुए भी माया देवी की जी जान से सेवा की  ओर रोग मुक्त करके ही  चैन लिया। सुधा के अथक प्रयास से वह बिल्कुल स्वस्थ हो गयी  अब माया देवी  सुधा से किये अपने  व्यवहार पर बहुत शर्मिंदा थी ।
"सोच रही थी शुद्धि कर्ण किसका हुआ था "
-०-
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)




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