दिवाली आई (कविता)
(कविता)
दीप जलाएगें हम मिलकर देखो दिवाली आई।
घर घर जाकर बाटेगें हम खील बतासे मिठाई।
घर में बनाएगें अपने हम बढ़िया बढ़िया पकवान।
मिलने आएंगे हम सब से हमारे सभी मेहमान।
नए नए कपड़े पहनेगें खूब पटाखे जलाएगें।
रूठे हुऐ सभी मित्रों को अपने हम मनाएंगे।
खुद भी नाचेंगे मस्ती में और सबको नचाएंगे।
माँ लक्ष्मी को पूजेंगे हम बड़ों का आशिष पाएंगे।
चाईना का कोई माल ना लेगें मिट्टी के दीये जलाएंगे।
अबकी इस दिवाली मे हम सब मिलकर कसम ए खाएंगे।
-०-
अजय कुमार व्दिवेदी
घर घर जाकर बाटेगें हम खील बतासे मिठाई।
घर में बनाएगें अपने हम बढ़िया बढ़िया पकवान।
मिलने आएंगे हम सब से हमारे सभी मेहमान।
नए नए कपड़े पहनेगें खूब पटाखे जलाएगें।
रूठे हुऐ सभी मित्रों को अपने हम मनाएंगे।
खुद भी नाचेंगे मस्ती में और सबको नचाएंगे।
माँ लक्ष्मी को पूजेंगे हम बड़ों का आशिष पाएंगे।
चाईना का कोई माल ना लेगें मिट्टी के दीये जलाएंगे।
अबकी इस दिवाली मे हम सब मिलकर कसम ए खाएंगे।
-०-
अजय कुमार व्दिवेदी
दिल्ली
-०-
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