विधा : निबंध
जीवन में हम कई बार चीजों के लिए हमारा कीमती समय व्यर्थ गवा देते हैं । हम कुछ पाने की आशा में जो अपने पास है उसे खो देते है । पर यही तो जीवन का आधार है । 'कुछ पा कर खोना है, कुछ खो कर पाना है।' हम अगर जो चीज है उसी मे गुजारा कर ले तो विकास कभी नहीं होगा क्योंकि विकास की शुरुआत किसी चीज को पाने की आशा से होती है । पर इसका यह मतलब नहीं कि हम लोगो को दुःख देकर खुद ख़ुशी ढूंढे । हमारे जीवन का सार इस वाक्य में है - 'जिओ और जीने दो' ।
हमारे चले जाने के बाद इस दुनिया में हमारा ऐसा कुछ रहता है तो वह हमारे अचे कर्म और हमारी निशानी । लोग हमें याद करे ये काफी नहीं है पर हमें अपने अच्छे कर्मों के लिए उच्च लक्ष्य होना चाहिए। 'जीवित तो हर कोई होता है, पर उस जीवन का कोई उद्द्देश्य होना चाहिए।'जीवन में प्रेम का महत्त्व बहुत है। प्यार ( प्रेम ) की व्याख्या अब थोड़ी बदल सी गयी है पर सार्थक जीवन के लिए:
प्रेम करो - अपने आप से,
प्रेम करो - अपने माँ - बाप से,
प्रेम करो - अपने सपनो से
और प्रेम करो अपने अपनों से
जो मनुष्य अपने सपनो को साकार करने अपना जीवन समर्पित करता है उसका जीवन सार्थक हो जाता है।जीवन सबका एक सामान ही होता है पर सिर्फ जीने का तरीका अलग होता है ।आखिर मे जीवन को जीना अपने बस मे है । जीवन है जीना पर सिर्फ अपने सपनो के लिए ।
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लेखक
तेजस राजपुरे (विद्यार्थी)
कोपरखैरणे ,नवी मुंबई , महाराष्ट्र
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