शूरवीर महाराणा प्रताप सिंह
(आलेख)
महाराणा प्रताप सिंह उदयपुर मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत वंश के राजा थे, उनका नाम इतिहास में वीरता और द्रढ़ प्रण के लिए अमर हे, उन्होने कई सालो तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया था, उन्होने मुगलॉ को कई बार युद्ध में भी हराया था, उनका जन्म 9 मे 1540 मे ई. स. को हुआ था, राजस्थान के कुंभलगढ़ मे महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जसवंत कंवर के घर हुआ था,
महाराणा प्रताप सिंह का जन्म लेखक विजय नेहरा के अनुसार उनका जन्म ननिहाल में मारवाड़ मे हुआ था, हल्दी घाटी युद्ध 1576 मे हुआ था, इस युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप सिंह ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80,000 की सेना का सामना किया गया था, शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप सिंह को राजा मानसिंह ने अपने प्राण देकर बचाया था, और महाराणा प्रताप सिंह को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था, शक्ति सिंह ने अपने अश्व देकर महाराणा प्रताप सिंह को बचाया था, अश्व चेतक की अंत में मृत्यु हो गई थी, हल्दी घाटी का युद्ध केवल एक दिन चला था परंतु इस मे 17000 लोग मारे गए थे, मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने सभी प्रयास किए थे, महाराणा प्रताप की हालत दिन प्रति दिन चिंताजनक होती चली जा रही थी, 25000 राजपूतों को बारह साल तक चले उतना अनुदान वीर भामा शाह ने दिया था और अमर बन गए,
महाराणा प्रताप सिंह ने 1572 से 1597 तक शासन किया था, उन्हे 28 फ़रवरी 1572 मे राज तिलक किया गया था, उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था, उनके उतरा धिकारी महाराणा अमरसिंह थे, उनकी 11 पत्नियाँ थी, संतान मे अमर सिंह 17 पुत्र थे, वो सनातन धर्म का पालन करते थे,
अकबर महाराणा प्रताप सिंह का सबसे बड़ा शत्रु था, यह लड़ाई कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी हालाकि अपने सीधाँत और मूल्यों की लड़ाई थी, महाराणा प्रताप सिंह ने हल्दी घाटी के युद्ध में सम्राट अकबर से पराजित नहीं हुए थे, हल्दी घाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ महाराणा प्रताप सिंह का समर्थन करने घुड़ सवारी और धनुर्धरियओ औरमुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था, महाराणा प्रताप सिंह को पकड़ने मे मुगल विफल रहे थे,
स्वाधीनता की लड़ाई लड़ ने वाले वीर महाराणा प्रताप सिंह को कोटि कोटि वंदन.....
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गाँधी नगर (गुजरात)
सुन्दर आलेख
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