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Tuesday, 28 January 2020

आह विवाह! वाह विवाह! (व्यंग्य) - राज कुमार अरोड़ा 'गाइड'

आह विवाह! वाह विवाह!
(व्यंग्य)
"शादी वह लड्डू,जो खाये वो पछताये, जो न खाये, वो भी पछताये"
"शादी न बाबा न,शादी तो बर्बादी है, खो जाती आज़ादी है"
"आत्महत्या करने की हिम्मत न जुटा सका, तो शादी कर ली"
"पिता जी,क्या गधे भी शादी करते हैं, हाँ, बेटा गधे ही तो शादी करते हैं"
"मन शान्ति कब महसूस करता है, जब शांति मायके में होती है"
" शादी तो उम्रकैद है, जिंदगी भर की हथकड़ी, सब कुछ भूले, बस याद रही,नून तेल लकड़ी"
"मेरे तो कर्म ही फूट गए,तुमसे शादी करके,मैं भी तो गले पड़ा ढोल ही बजा रहा हूँ"
"पत्नी वही,जो पति पर तनी रहे और पति बेचारा पत्ता बन बस फड़ फड़ करता रहे"
"हसबैंड का अर्थ है, जो हंसते हंसते बजता रहे, बजना तो उसे है ही,बज कर ही मजे का जीवन जी लो ,क्या बुराई है"
"शादी को लड़की का दूसरा जन्म कहते हैं, पर लड़के के लिये तो तीसरा जन्म हो जाता है, वह माँ की तरफ जाये तो पत्नी कहे,माँ का लाडला,पिछलग्गू और पत्नी की तरफदारी करे तो,जोरू का गुलाम फतवा मिल जाये"
"विवाह के बाद का जीवन,उस तालाब जैसा,ऊपर तो सुंदर कमल का फूल,पर नीचे गहराई का जाल बना बबूल, एक बार फंसे तो गये निकलना भूल"
"शादी तो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही गलती है, फिर भी क्या आप शादी से बच पाएंगे"शादी पर बने इतने जोक्स, किस्से सिर्फ मनोरंजन के लिये ही नहीं, अपितु इसकी मधुरता,मिठास,प्यार भरी तल्खी को भी दर्शाते हैं। आज हर लड़का लड़की टीन ऐज में आते ही सपनों का संसार बुनने लगते हैं।माँ बाप आस लगाये रहते हैं कि बेटा बहु लायेगा, हमारी सेवा करेगी,बेटा बुढ़ापे में सहारा बनेगा। पर आज चलन तो ऐसा है, माँ बाप चार बच्चे पाल सकते हैं, पर चार बच्चे माँ बाप को नहीं पाल सकते, पर कुछ अपवाद भी हैं, और यही तो सुख व सकून देते हैं,
और यहीं तो विवाह वाह वाह है! आसमान से उतरा मीठा सन्देश है।"
"शादी के बाद की चुहलबाजी भी मर्यादा में हो तो जीवन में नया रंग भर देती है"
मैंने अपने बेटे को जब वह आठ वर्ष का था, यूँ ही बातों बातों में कहा-क्या रखा है शादी में, इतनी भागदौड़, रोज़ की डांट डपट,तू शादी मत करना, तो वो बोला- कोई बात नहीं पापा, मैं भी अपने बेटे को कह दूँगा कि वो
शादी न करे।
फिर यह भी सत्य है कि जीवन की पूर्णता विवाह से है।पति-पत्नी का आपस में सामजंस्य हो तो पत्नी जीवनसंगिनी के अतिरिक्त माँ, बहन,बेटी, मित्र,शुभचिंतक के रूप में तो पति जीवनसाथी के अलावा पिता,अभिभावक, दोस्त, भाई का रोल निभाते हैं, यही तो इस वैवाहिक जीवन की सफलता की पराकाष्ठा है, यही मंगलमय रूप है । यह भी सत्य है कि वैवाहिक जीवन की सफलता विवाह के बाद अलग होने में नहीं,मां बाप के साथ रह कर ही स्वयं भी, उन्हें भी आनंदित रखने में हैं। जिस घर में बुजुर्ग प्रसन्न व सन्तुष्ट रहते हैं, वह स्वर्ग से भी बढ़ कर है। इसलिये तो कहते हैं कि जो विवाह से भयभीत हो कर पीछे हटता है, वह उसी के समान है, जो युद्धभूमि से पलायन करता है
विवाह स्त्री पुरूष के आपसी अधिकार भाव का नाम है। 
विवाह जीवन एक तपोभूमि है, सहनशीलता व सयंम खो कर इसमें कोई सुखी नहीं रह सकता विवाह के अनेक दुखड़े हैं, पर कुँआरे रहने के भी कोई सुख नही। परस्पर मधुर व्यवहार हो तो जिंदगी गुलाब जामुन की तरह मिठास से भरी लगती है मनमुटाव नित्यप्रति की बात हो जाये तो समय बिताना गुलाब के कांटो सा लगता है और जिंदगी जामुन की तरह खट्टी विवाह हानिकारक नहीं है, केवल वह कमजोरी हानिकारक है, जो इस जीवन में अधिकार जमा लेती है विवाह प्रेम की वह व्यवस्था है जो हमारी शारिरिक, मानसिक आध्यात्मिक शक्तियों के विकास का द्योतक है। विवाह एक आवश्यक बुराई है, मन की अच्छाई है, यथार्थ के धरातल पर आपसी समझौता ही जीवन की सच्चाई है। विवाह की लोकप्रियता इसी में है कि वह सबसे अधिक आनंद का,सबसे अधिक अवसर से मेल कराता है।
शादी--विवाह-- ब्याह--गठबंधन यह सब आकाश में पहले से बन कर आते हैं!इसी से पूर्णता आती है, बस जरूरत है परस्पर एक दूसरे को अधूरा न समझने की,न अधूरा साबित करने की! फिर देखिए आप कह उठेंगें, वाह विवाह! वाह विवाह! और चाहेंगे-"चट मंगनी, पट ब्याह"
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पता: 
राज कुमार अरोड़ा 'गाइड'
बहादुरगढ़(हरियाणा)


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