'नूतन वर्षाभिनन्दन'
(कविता)
अभिनव काव्य का सृजन करें।
कोमल कुसुम काव्य कलियों से
मां शारदे का शृंगार करें।
गाएं गीत सदा प्रेम भाव के
राग-द्वैष का त्याग करें।
इंसानियत पर हावी होती
हैवानियत का नाश करें।
सांप्रदायिकता के विषैले उन्माद को
आपसी सद्भाव से दूर करें।
इंसान सबसे पहले है इंसान
इस सत्य को स्वीकार करें।
जगाएं अखण्ड शिक्षा की ज्योति
दुर्गुणों का हवन करें।
आतंकवाद की जड़ें काटकर
'भारतमाता' का संताप हरें।।
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