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Thursday, 2 January 2020

'नवल वर्ष, नव वंदन हो' (कविता) - ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'


'नवल वर्ष, नव वंदन हो'
(कविता)
सद्भावों के स्वच्छ प्रकाश से,
जीवन सबका रोशन हो।
दुर्भावों का हटे अँधेरा,
नवल वर्ष, नव वंदन हो।।

महँगाई का चीर हरण हो,
सुलभ वस्तु हर-जन को हो।
भूख अभाव न रहे दुनिया में,
निर्मल सबका तन मन हो।।

सबकी उन्नति हो जीवन में,
दुखी न कोई प्राणी हो।
विकास की गंगा बहे निरंतर,
कर्मशील हर प्राणी हो।।

दीन-दलित रहे नहीं कोई,
स्वाभिमानी नर नारी हो।
वीर-पराक्रमी हर बच्चा हो,
विकास-चक्र नित जारी हो।।

भारत का सौभाग्य सूर्य,
विश्व-क्षितिज पर छाया हो,
सत्य,अहिंसा, प्रेम,न्याय का
सबको पाठ पढ़ाता हो ।।
-०-
पता-
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा (हरियाणा)
-०-

***
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