कोरोना वायरस
(ग़ज़ल)
कहाँ से आया कोरोना वायरस ।
तुमने तो छीना जीवन का रस ।।
खेल-पढाई - स्कूलें हो गई बन्द ।
जब से येआया कोरोना वायरस ।।
घर में हो गये सारे के सारे कैद ।
बच्चे - बूढ़ों को डराए वायरस ।।
टी वी-मोबाईल अब हमारे साथी ।
नानी - दादी के घर को गए तरस ।।
दोस्त-सखा सब मिलने को तरसे ।
बार - बार डराए कोरोना वायरस ।।
मन्दिर-मस्जिद पूजागृह हुए लॉक ।
गरीब - मजदूर हो गये सारे बेबस ।।
कब स्वछन्द होके हम खेलेंगे खेल ।
जहाँ से आए वहाँ जाओ वायरस ।।
ब्याव-शादी-मौत में भी लुक - छुप ।
कब तक हमें यूँ तड़पाएगा वायरस ।।
हमारी पढाई हो गई अब ऑनलाईन ।
हम कैसे पढेंगेअब थक चुके वायरस ।।
तुमने तो छीना जीवन का रस ।।
खेल-पढाई - स्कूलें हो गई बन्द ।
जब से येआया कोरोना वायरस ।।
घर में हो गये सारे के सारे कैद ।
बच्चे - बूढ़ों को डराए वायरस ।।
टी वी-मोबाईल अब हमारे साथी ।
नानी - दादी के घर को गए तरस ।।
दोस्त-सखा सब मिलने को तरसे ।
बार - बार डराए कोरोना वायरस ।।
मन्दिर-मस्जिद पूजागृह हुए लॉक ।
गरीब - मजदूर हो गये सारे बेबस ।।
कब स्वछन्द होके हम खेलेंगे खेल ।
जहाँ से आए वहाँ जाओ वायरस ।।
ब्याव-शादी-मौत में भी लुक - छुप ।
कब तक हमें यूँ तड़पाएगा वायरस ।।
हमारी पढाई हो गई अब ऑनलाईन ।
हम कैसे पढेंगेअब थक चुके वायरस ।।
-०-
अति सार्थक अनुकरणीय
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