कोरोना
(कविता)
उठते हैं प्रत्येक सुबह इश्वर का नाम लेकर हम।हर कदम अपना बढ़ाते हैं उन्हें प्रणाम करतें हुए।
कोरोना से किसी व्यक्ति के प्राण न जाएँ।
आस-पास के लोगों को सावधान करते हुए।
सोचते हैं खुद भी बचें औरों को बचा लें।
भारतीय संस्कृति का इस्तेमाल करते हुए।
सम्पूर्ण विश्व में मचा रहा कोहराम कोरोना।
इसे अपने देश से भगा दें नमस्कार करते हुए।
कुछ लोग जो फैला रहे है भरम देश में।
उनसे दुरीयां बना लें प्रभु का नाम जपते हुए।
मौत लिखी है जबकि ''अजय'' तब ही आएगी।
क्यूँ न कोरोना को हरा दें हम अपना काम करते हुए।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''
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अजय कुमार व्दिवेदी
अजय कुमार व्दिवेदी
दिल्ली
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