*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Wednesday 13 November 2019

अंकुर (कविता) - शुभा/रजनी शुक्ला


अंकुर
(कविता)
कही ना कही कभी ना कभी
ये अंकुर तो फूटेंगे
दबे हैं सालों से जो शोले
कभी तो आखिर फूटेंगे

निरधन सह के जिये ही जा रहा
देख अमीरो की अय्याशी
कभी तो होगा ,सोचता बैठा
मेरा भी इक बँगला शाही

जिन बच्चो का शोषण होता
घृणा का अंकुर पनप रहा होगा
हमारा भी इक दिन आयेगा
जब इन सबका सफाया होगा

रोती बिलखती मासुम बेटियाँ
किसके दम पर धीरज धारे
मजबूत हो रही एक एक मिलके
बदले का अंकुर एैसे फूटे

देश मे बदहाली अव्यवस्था
भ्रष्टाचार आतंक अपहरण
कभी तो इक पौधा पनपेगा
असर तो दिखायेगा अंकूरण
-०-
शुभा/रजनी शुक्ला
रायपुर (छत्तीसगढ)

-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ