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Wednesday, 13 November 2019

दिन बादल वाले (नवगीत) - अशोक 'आनन'


दिन बादल वाले
(नवगीत)
अशोक 'आनन' 
लौट चले -
दिन बादल वाले ।
मचा तबाही -
जाने आतुर
पावस का -
वे देकर नासूर ।
मोड़ चले मुहं -
बादल काले ।
खूब किया -
बूंदों ने तांडव ।
प्रीत के -
जिनमें डूबे मांडव ।
फोड़ चले सब -
बादल छाले ।
नदियां तक -
पानी में डूबी ।
धरती तक -
पानी से ऊबी ।
तोड़ चले मन -
बादल साले ।
बादल की -
अपनी शर्तै हैं ।
मन में -
पर्तें -दर -पर्तें हैं ।
खूब चलें अब -
बादल चालें ।
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (म.प्र.)

-०-


***
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