याद
(कविता)
मैं आया था
आपके पास
आपसे मिलने
आप पूजा कर रहे थे
मैं करने लगा था
आपका इंतज़ार
मेज पर रखा था अख़बार
पढ़ने लगा
पढ़ा एक-एक पेज़
उस दिन जाना अख़बार को
खूब होती हैं ख़बरें
महानगर दिल्ली से लेकर
छोटे से गाँव की भी
छपती हैं खबरें
अपराधों से
दुर्घटनाओं से
अनियमितताओं से
भ्रष्टाचार से
तकरार से
भरा पड़ा था अख़बार
आँखों में भर आये थे आँसू
मैं भी करने लगा था याद
भगवान को
जब तक आप आये।
-०-
संपर्क
-०-
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