सदा गुरबत
(ग़ज़ल)
हमारे पास सरमाया नही है ।कोई पीपल कोई छाया नही है ।।
वहा उल्फत की बारिश हो रही है ।
यहा पे अब्र का साया नही है ।।
तुम्हारी याद से जो खील उठाथा ।
अभी वो फुल मुरझाया नही है ।।
मेरे दिल की भी सांकल हिल रही है ।
मगर अन्दर कोई आया नही है ।।
कभी आया था वो आँखो मेरी ।
तुम्हारा ख्वाब फिर आया नही है ।।
ना जाने कब कहा पे गिर पड़ेगा ।
तुम्हारे झूठ का पाया नही है ।।
बलाकी भीड़ थी मय्यत मे मेरी ।
जिसे आना था वो आया नही है।।
हमारा पेट सदियो से भरा है ।
सिवाए ग़म के कुछ खाया नही है ।।
सदा गुरबत तेरी आँखो मे असग़र ।
सुकूनो चेन का साया नही है ।।
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