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Tuesday, 12 November 2019

सदा गुरबत (ग़ज़ल) - अजगर अली 'असग़र इन्दौरी'

सदा गुरबत
(ग़ज़ल)
हमारे पास सरमाया नही है ।
कोई पीपल कोई छाया नही है ।।

वहा उल्फत की बारिश हो रही है ।
यहा पे अब्र का साया नही है ।।

तुम्हारी याद से जो खील उठाथा ।
अभी वो फुल मुरझाया नही है ।।

मेरे दिल की भी सांकल हिल रही है ।
मगर अन्दर कोई आया नही है ।।

कभी आया था वो आँखो मेरी ।
तुम्हारा ख्वाब फिर आया नही है ।।

ना जाने कब कहा पे गिर पड़ेगा ।
तुम्हारे झूठ का पाया नही है ।।

बलाकी भीड़ थी मय्यत मे मेरी ।
जिसे आना था वो आया नही है।।

हमारा पेट सदियो से भरा है ।
सिवाए ग़म के कुछ खाया नही है ।।

सदा गुरबत तेरी आँखो मे असग़र ।
सुकूनो चेन का साया नही है ।।
-०-
पता:
अजगर अली 'असग़र इन्दौरी'
इन्दौर (मध्यप्रदेश)

-०-
***
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