सबसे बड़ी कमाई
(कविता)
साहित्य समाज का दर्पण होता है
साहित्यकार अपनी ठनठनी लेखनी से
समाज को सत्य से अवगत कराता है
वह सरस्वती का उपासक होता है
इतना ही नहीं वह समाज व राष्ट्र
हित के लिए
घर फूंक तमाशा देखता है मगर
समाज साहित्यकार की
वास्तविक स्थिति से बेखबर होता है
साहित्यकार समाज व राष्ट्र को एक नई सोच
नई दिशा देता है
उसके रचनात्मक प्रयासों से
समाज उसे जो मान सम्मान देता है
उसे पाकर साहित्यकार को
जो खुशी होती है व
मन में जो अपार प्रसन्नता होती हैं
वही साहित्यकार की
सबसे बडी कमाई होती है चूंकि
वह सरस्वती का उपासक है
समाज को सही दिशा देना
सद् साहित्य उपलब्ध कराना और
स्वस्थ मनोरंजन करना
साहित्यकार का परम धर्म है
उसके लिए सत्य ही ईश्वर है और
ईश्वर ही सत्य है
-०-
सुनील कुमार माथुर ©®जोधपुर (राजस्थान)
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