(ग़ज़ल)
उनके सँग जीना मर जाना अच्छा लगता है।
दुनिया में आये कुछ कर जाना अच्छा लगता है।
वहशत सी हुई है शोहरत पाने की
नगमा गीत ग़ज़ल सुनाना अच्छा लगता है।
महफ़िल सज गई है अब चले आओ सनम
तुम्हे देखकर गुनगुनाना अच्छा लगता है।
नज़रों में आपके जो शरारत नज़र आती है
उसे देख देख मेरा शरमाना अच्छा लगता है।
बज़्म में होकर भी जब ख़ुदको तन्हा पाती हूँ
तड़पकर मेरा गीत गाना अच्छा लगता है।
रेणू को आदत हो चुकी है तन्हा रहने की
तुम्हारा बार बार आना अच्छा लगता है।
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बढ़िया ग़ज़ल... वाह
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