हिमशिखर तक
(कविता)
हिम शिखर तक देखिए, तिऱंगा फहरा रहा,
सैनिकों की शौर्य गाथा, है गगन तक गा रहा।
पाताल की गहराइयों से, अन्तरिक्ष के पटल,
भारतीय सेना का परचम, दुश्मन थरथरा रहा।
चीन हो या आतंकी पाक, सामने भारत खड़ा,
देखकर म़ंसूबे अपने, लाल आतंक घबरा रहा।
सत्ता के भूखे भेड़िए कुछ, गद्दारी मुल्क से करें,
राष्ट्रभक्त जागरूक अब, बस उन्हें समझा रहा।
-०-
हिम शिखर तक देखिए, तिऱंगा फहरा रहा,
सैनिकों की शौर्य गाथा, है गगन तक गा रहा।
पाताल की गहराइयों से, अन्तरिक्ष के पटल,
भारतीय सेना का परचम, दुश्मन थरथरा रहा।
चीन हो या आतंकी पाक, सामने भारत खड़ा,
देखकर म़ंसूबे अपने, लाल आतंक घबरा रहा।
सत्ता के भूखे भेड़िए कुछ, गद्दारी मुल्क से करें,
राष्ट्रभक्त जागरूक अब, बस उन्हें समझा रहा।
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