माँ
(कविता)
बेटा व बेटी
जिसकी नजर में
एक समान ।
वो माँ होती है
कभी नहीं घटती
उसकी शान ।।
बड़े प्रेम से
गोद में बैठाकर
खिलाये खाना ।
बच्चों को चाहे
पलकों की छाँव में
सदा बिठाना ।।
अपनी आयु
लग जाये बच्चों को
माँ का सपना ।
मुसीबत में
चीरकर दिखा दे
दिल अपना ।।
जन्मों तक भी
कोई चुका ना पाये
दूध का कर्ज ।
माँ निभाती है
मरते दम तक
अपना फर्ज ।।
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