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Saturday, 19 December 2020

माँ ! मैं तेरी लाडली (कविता) - श्रीमती सुशीला शर्मा

 

माँ! मैं तेरी  लाडली
(कविता)
माँ ! मैं तेरी  लाडली,
सीख रही सब काम
पढ़ लिख करने हैं मुझको
बड़े बड़े सब काम ।

लेकिन तुम घबराना ना
हार कभी ना मानूँगी
बेलन और कलम दोनों के
राज सभी पहचानूँगी ।

गोल गोल रोटी बनी
पृथ्वी भी है गोल
अग्नि लकड़ी से जली
प्रकृति चारों ओर ।

पढ़ कर मैं भी कर दूँगी
नए नए आविष्कार
हाथ सने आटे से ही माँ
करूँगी  मैं चमत्कार ।

उडूँ आसमां की ऊँचाई
चाँद, सितारे छू लूँगी
धरती से अंबर तक सारे
नक्षत्रों को छू लूँगी ।

अब न रुकूँगी, नहीं थमूँगी
आगे बढ़ती जाऊँगी
कितनी भी बाधाएँ आएँ
अब मैं नहीं घबराऊँगी ।
-०-
पता:
श्रीमती सुशीला शर्मा 
जयपुर (राजस्थान) 
-०-

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